University of Allahabad
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हिंदी दिवस के अवसर पर माननीय कुलपति महोदया का संदेश

 

 


 

हिंदी दिवस के इस पावन अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक अधिकारी/ कर्मचारी वर्ग को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

भाषा किसी भी राष्ट्र की सामाजिक तथा सांस्कृतिक धरोहर की संवाहक होती है। पूरे देश की एकता और अखंडता की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी होती है। भारत जैसे बहुभाषी और विविध संस्कृतियों से भरे देश में इसका महत्व और बढ़ जाता है। राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर है और राजभाषा हिंदी सरकार और देश के आम नागरिक के बीच संवाद की भाषा होकर अपनी सार्थक भूमिका निभा रही है।

संपर्क भाषा के रूप में स्वाधीनता पूर्व से ही अपनी अलग और विशिष्ट पहचान बना चुकी हिंदी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, भारतीय संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया गया था। भारतीय संविधान में यह व्यवस्था भी की गई है कि देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी संघ की राजभाषा होगी और संघ सरकार को यह दायित्व भी सौंपा गया है कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाये और उसके विकास के लिए पहल करे ताकि हिंदी की सामासिक संस्कृति के तत्वों की अभिव्यक्ति हो सके।

यह हमारे लिए बड़े संतोष और गर्व की बात है कि आज हिंदी अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में परचम लहरा रही है। विश्व के 50 से अधिक देशों में हिंदी किसी न किसी रूप में प्रयोग की जाती है और विश्व के अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में इसका अध्ययन और अध्यापन भी हो रहा है। विभिन्न टीवी चैनलों का हिंदी में प्रसारण और विज्ञापन, इंटरनेट जगत में हिंदी सामग्री की उपलब्धता, हिंदी ब्लॉग की संस्कृति का तेजी से होता विकास सभी इस बात के संकेत देते हैं कि हिंदी अब किसी क्षेत्र विशेष की भाषा नहीं रही बल्कि विश्वस्तर पर जन मानस की भाषा बनने की ओर अग्रसर है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने भी इसी कड़ी में अपनी वेबसाइट को अब द्विभाषी कर दिया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का लोगो भी अब संस्कृत के ध्येय वाक्य वाला है। वार्षिक प्रतिवेदन हो या लेखा प्रतिवेदन सभी द्विभाषी मुद्रित हो रहे हैं। प्रशासनिक भवनों में हिंदी के वाक्यों की सूक्तियां लगाई गईं हैं और हिंदी के प्रचार-प्रसार के क्रम में विश्वविद्यालय में राजभाषा अनुभाग लगातार कार्य कर रहा है|

भाषा को केवल साहित्य के साथ ही नहीं बल्कि ज्ञान की विभिन्न विधाओं के साथ जोड़ना होगा तभी हिंदी को अपेक्षित सम्मानित स्थान प्राप्त हो सकेगा। चिकित्सा का क्षेत्र हो या अभियांत्रिकी का क्षेत्र हो, निजी व्यवसाय का क्षेत्र हो या सरकारी संस्थानों का जिक्र हो, कला जगत हो या विज्ञान का संसार, हमें सारे क्षेत्रों की मागं के अनुसार हिंदी के ज्ञान भंडार को समृद्ध करना होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षण सामग्री को भारतीय भाषाओं में विकसित करने का संकल्प लिया गया है। इसे हिंदी की उपयोगिता और बढ़ेगी और व समृद्धि हो सकेगी। कोरोना नामक इस वैश्विक संकट के कारण हम इस वर्ष पिछले वर्षों की भांति एक साथ बैठकर हिंदी दिवस या इससे संबंधित अन्य कार्यक्रम या प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं कर पा रहे हैं। समय की मांग देखते हुए राजभाषा पखवाड़ा 2021 के दौरान अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए कोरोना दिशा-निर्देश का पालन करते हुए प्रतियोगिताएं की गईं जिसमें सुलेख, कार्यालयीन पत्र लेखन, चित्र मंथन, प्रेरक प्रसंग एवं गीत-काव्य पाठ प्रतियोगिता आयोजित की गईं, उसमें आपकी भागीदारी सराहनीय है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं संगठक महाविद्यालय के छात्र /छात्राओं के लिए चित्र मंथन, निबंध, तात्कालिक भाषण, स्वरचित काव्य पाठ एवं दिए गए विषय पर कहानी लेखन प्रतियोगिताएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गईं। ऑनलाइन मोड से भी विद्यार्थियों की प्रतिभागिता में कोई कमी नहीं आयी है। इससे पता चलता है कि विश्वविद्यालय के छात्र/छात्राएं इस प्रकार की सीखने योग्य प्रतियोगिताओं में रुचि रखते हैं। मैं विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को अपनी ओर से बहुत बधाई देती हूं साथ ही आप सभी से अपेक्षा करती हूं कि भविष्य में भी आप इसी तरह प्रतिभाग करते रहेंगे।

आइए हिंदी दिवस के इस शुभ अवसर पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम सभी अपना कार्यालयीन कार्य पूर्ण उत्साह लगन और गर्व के साथ राजभाषा हिंदी में ही करेंगे। मुझे विश्वास है कि हमारा सामूहिक और सार्थक प्रयास अवश्य सफल होगा और हिंदी जन-जन की भाषा बन सकेगी।

जय हिन्द, जय हिंदी।

(प्रो0 संगीता श्रीवास्तव)

कुलपति, इ.वि.वि

14 सितबंर, 2021