06 Dec 2023
14 Sep 2023
19 May 2023
23 Oct 2022
14 Sep 2022
30 Jul 2022
23 Sep 2021
Dear Colleagues & Students,
My greetings and congratulations to all of you on the Foundation Day.
It is a matter of great pride that our institution is celebrating its 134th Foundation Day. After all these years have gone by in the history of the institution, I take great pride in being the first woman Vice-Chancellor of my alma meter. I thank all of you for rendering me all the support viz.-a-viz. meeting online classes, working on committees and organizing other events required to run the institution. With a very discerning eye I feel a lot of gratitude in saying that I have found the entire institution has come together as a big team to work and extend all possible cooperation to me।
It is my dream and desire to see this institution among the leading institution in academics, sports, cultural pursuits, innovation, patents, etc. It is heart warming to see the love and support that I get from all of you. When all of us are in, I am sure we shall be able to find a way out to realize our dream for our institution.
As we emerge out of the Covid situation, I am trying to reopen the University in a phased manner. All PG Semester II & IV class reopen for physical teaching from 1 st October, 2021 in a first phase. In the second phase if all is right, we shall further open offline teaching for more classes. I have been getting a feed back that the online classes were being conducted regularly despite the calamity and exams were conducted and results declared meticulously.
My congratulations once again.
(Prof. Sangita Srivastava)
Vice Chancellor, UoA
14 Sep 2021
हिंदी दिवस के इस पावन अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक अधिकारी/ कर्मचारी वर्ग को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
भाषा किसी भी राष्ट्र की सामाजिक तथा सांस्कृतिक धरोहर की संवाहक होती है। पूरे देश की एकता और अखंडता की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी होती है। भारत जैसे बहुभाषी और विविध संस्कृतियों से भरे देश में इसका महत्व और बढ़ जाता है। राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर है और राजभाषा हिंदी सरकार और देश के आम नागरिक के बीच संवाद की भाषा होकर अपनी सार्थक भूमिका निभा रही है।
संपर्क भाषा के रूप में स्वाधीनता पूर्व से ही अपनी अलग और विशिष्ट पहचान बना चुकी हिंदी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, भारतीय संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया गया था। भारतीय संविधान में यह व्यवस्था भी की गई है कि देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी संघ की राजभाषा होगी और संघ सरकार को यह दायित्व भी सौंपा गया है कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाये और उसके विकास के लिए पहल करे ताकि हिंदी की सामासिक संस्कृति के तत्वों की अभिव्यक्ति हो सके।
यह हमारे लिए बड़े संतोष और गर्व की बात है कि आज हिंदी अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में परचम लहरा रही है। विश्व के 50 से अधिक देशों में हिंदी किसी न किसी रूप में प्रयोग की जाती है और विश्व के अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में इसका अध्ययन और अध्यापन भी हो रहा है। विभिन्न टीवी चैनलों का हिंदी में प्रसारण और विज्ञापन, इंटरनेट जगत में हिंदी सामग्री की उपलब्धता, हिंदी ब्लॉग की संस्कृति का तेजी से होता विकास सभी इस बात के संकेत देते हैं कि हिंदी अब किसी क्षेत्र विशेष की भाषा नहीं रही बल्कि विश्वस्तर पर जन मानस की भाषा बनने की ओर अग्रसर है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने भी इसी कड़ी में अपनी वेबसाइट को अब द्विभाषी कर दिया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का लोगो भी अब संस्कृत के ध्येय वाक्य वाला है। वार्षिक प्रतिवेदन हो या लेखा प्रतिवेदन सभी द्विभाषी मुद्रित हो रहे हैं। प्रशासनिक भवनों में हिंदी के वाक्यों की सूक्तियां लगाई गईं हैं और हिंदी के प्रचार-प्रसार के क्रम में विश्वविद्यालय में राजभाषा अनुभाग लगातार कार्य कर रहा है|
भाषा को केवल साहित्य के साथ ही नहीं बल्कि ज्ञान की विभिन्न विधाओं के साथ जोड़ना होगा तभी हिंदी को अपेक्षित सम्मानित स्थान प्राप्त हो सकेगा। चिकित्सा का क्षेत्र हो या अभियांत्रिकी का क्षेत्र हो, निजी व्यवसाय का क्षेत्र हो या सरकारी संस्थानों का जिक्र हो, कला जगत हो या विज्ञान का संसार, हमें सारे क्षेत्रों की मागं के अनुसार हिंदी के ज्ञान भंडार को समृद्ध करना होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षण सामग्री को भारतीय भाषाओं में विकसित करने का संकल्प लिया गया है। इसे हिंदी की उपयोगिता और बढ़ेगी और व समृद्धि हो सकेगी। कोरोना नामक इस वैश्विक संकट के कारण हम इस वर्ष पिछले वर्षों की भांति एक साथ बैठकर हिंदी दिवस या इससे संबंधित अन्य कार्यक्रम या प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं कर पा रहे हैं। समय की मांग देखते हुए राजभाषा पखवाड़ा 2021 के दौरान अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए कोरोना दिशा-निर्देश का पालन करते हुए प्रतियोगिताएं की गईं जिसमें सुलेख, कार्यालयीन पत्र लेखन, चित्र मंथन, प्रेरक प्रसंग एवं गीत-काव्य पाठ प्रतियोगिता आयोजित की गईं, उसमें आपकी भागीदारी सराहनीय है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं संगठक महाविद्यालय के छात्र /छात्राओं के लिए चित्र मंथन, निबंध, तात्कालिक भाषण, स्वरचित काव्य पाठ एवं दिए गए विषय पर कहानी लेखन प्रतियोगिताएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गईं। ऑनलाइन मोड से भी विद्यार्थियों की प्रतिभागिता में कोई कमी नहीं आयी है। इससे पता चलता है कि विश्वविद्यालय के छात्र/छात्राएं इस प्रकार की सीखने योग्य प्रतियोगिताओं में रुचि रखते हैं। मैं विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को अपनी ओर से बहुत बधाई देती हूं साथ ही आप सभी से अपेक्षा करती हूं कि भविष्य में भी आप इसी तरह प्रतिभाग करते रहेंगे।
आइए हिंदी दिवस के इस शुभ अवसर पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम सभी अपना कार्यालयीन कार्य पूर्ण उत्साह लगन और गर्व के साथ राजभाषा हिंदी में ही करेंगे। मुझे विश्वास है कि हमारा सामूहिक और सार्थक प्रयास अवश्य सफल होगा और हिंदी जन-जन की भाषा बन सकेगी।
जय हिन्द, जय हिंदी।
(प्रो0 संगीता श्रीवास्तव)
कुलपति, इ.वि.वि
05 Sep 2021
Dear Colleagues,
We as teachers will have an impact on tomorrow’s world, through our students.
A teacher is one who always lives in the hearts of students. It is only he / she who shapes the rest of their lives. Sometimes we as teachers have to be very tough on students while giving deadlines and assignments. We also have to put pressures on them for finishing deadlines and performing on discussions in the classroom. It is a mammoth task of shaping personalities of today’s youth that rests on our shoulders. We are nicknamed and hated for all this, that we do to them.
It is much later in life that the student realises that all that moulding and shaping was for his own benefit.
We work uncaring about our reputation in their eyes.
Yet an informative lecture given in the most simple words is something that touches every heart. Bringing forth the most complicated topics in most simple understandable words, is where our genius lies.
All of us are shaping tomorrow. We in the University are the light house which should illuminate not only the students but also the community around us. We are the reservoirs of new knowledge.
Whatever cutting edge research is done by us, we must share by means of news papers and social media. Our endeavour should always be to make the community a better place to live in .
We are continuously evolving, old customs, old knowledge old beliefs also needs to stand on new pillars of new knowledge and the common man should know about it.
We all must share our knowledge, for the holistic development of the students and the community. Wishing all of you success in your work and also wishing all of you a very happy teachers day.
31 Dec 2020
I look forward to our collaborative success and again wish you all a rewarding and Happy 2021.